तकनीकी गलती या लोकतंत्र की हत्या? बिहार मांग रहा है जवाब!

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Ajit Kumar

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बिहार वोटर लिस्ट विवाद: राजनीति, न्याय और जनता की जंग!

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना,30 जून: बिहार एक बार फिर सुर्खियों में है—इस बार वजह है वोटर लिस्ट में अनियमितता का विवाद.चुनाव एक लोकतांत्रिक देश की रीढ़ होते हैं, लेकिन जब मतदाता सूची ही संदेह के घेरे में आ जाए, तो सवाल सिर्फ प्रशासन पर नहीं, बल्कि लोकतंत्र की बुनियाद पर भी खड़े हो जाते हैं.

क्या है विवाद?

हाल ही में बिहार के कई जिलों से रिपोर्ट्स आई हैं कि हजारों योग्य मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से गायब हैं, वहीं दूसरी ओर डुप्लीकेट, मृत या फर्जी नाम भी बड़ी संख्या में सूची में शामिल हैं. इस गड़बड़ी के चलते जनता में व्यापक नाराजगी है और कई विपक्षी दलों ने इसे “राजनीतिक षड्यंत्र” बताया है.

राजनीति की चाल या प्रशासनिक चूक?

राजनीतिक दलों में इस मुद्दे को लेकर तीखी बहस छिड़ गई है. विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि यह एक सुनियोजित रणनीति है जिससे कुछ खास समुदायों और वर्गों के वोट काटे जा सकें.वहीं, सत्ताधारी दल इसे एक तकनीकी या प्रशासनिक चूक बता रहे हैं और जांच का आश्वासन दे रहे हैं.

न्यायपालिका की भूमिका

पटना हाई कोर्ट में इस मामले को लेकर एक जनहित याचिका दाखिल की गई है.कोर्ट ने निर्वाचन आयोग से जवाब तलब किया है और निर्वाचन प्रक्रिया की पारदर्शिता बनाए रखने के लिए त्वरित कदम उठाने के निर्देश दिए हैं.कोर्ट की फटकार के बाद चुनाव आयोग ने तीन सदस्यीय जांच कमिटी गठित की है जो 15 दिनों में रिपोर्ट सौंपेगी.

जनता की प्रतिक्रिया

बिहार की जनता इस पूरे प्रकरण से खुद को ठगा हुआ महसूस कर रही है. खासकर पहली बार वोट डालने वाले युवा और ग्रामीण क्षेत्रों के लोग जिनके नाम गायब हैं, वे भय, भ्रम और गुस्से की स्थिति में हैं.कई जगहों पर प्रदर्शन, पब्लिक मीटिंग्स और ऑनलाइन कैंपेन शुरू हो चुके हैं.

असर क्या होगा?

अगर यह विवाद यूं ही बढ़ता रहा, तो इसका असर सिर्फ आगामी चुनावों पर ही नहीं, बल्कि लोकतंत्र की विश्वसनीयता पर भी पड़ सकता है. साथ ही, इससे बिहार में राजनीतिक अस्थिरता और सामाजिक ध्रुवीकरण की आशंका भी गहराने लगी है.

निष्कर्ष

बिहार का वोटर लिस्ट विवाद सिर्फ एक तकनीकी समस्या नहीं, बल्कि लोकतंत्र के दिल पर चोट है.ज़रूरत है पारदर्शिता, जवाबदेही और जागरूकता की. प्रशासन, न्यायपालिका, राजनीतिक दलों और सबसे बढ़कर जनता को मिलकर इस लड़ाई को लड़ना होगा ताकि हर नागरिक का वोट सुरक्षित और प्रभावी बना रहे.

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