झारखंड में पेसा कानून को सशक्त बनाने की पहल

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kmSudha

झारखण्ड
झारखंड में पेसा कानून को सशक्त बनाने की दिशा में पहल

रांची में महत्वपूर्ण बैठक, कांग्रेस प्रभारी के. राजू रहे मौजूद, क्या निकला निष्कर्ष?

तीसरा पक्ष डेस्क,रांची: झारखंड में पेसा (PESA) नियमावली को लेकर कांग्रेस की गंभीर कोशिशें लगातार जारी हैं. आज रांची में कांग्रेस के झारखंड प्रभारी श्री के. राजू की उपस्थिति में एक अहम बैठक आयोजित की गई, जिसमें पंचायती राज विभाग द्वारा तैयार किए गए पेसा ड्राफ्ट पर विस्तार से चर्चा की गई। इस दौरान कई महत्त्वपूर्ण सुझाव और संशोधन भी सामने आए.

पेसा कानून पर फैलाई जा रही भ्रांतियों का तर्क के साथ जवाब देने की ज़रूरत

पेसा कानून पर फैलाई जा रही भ्रांतियों का तर्क के साथ जवाब देने की ज़रूरत

कांग्रेस नेत्री और झारखण्ड सरकार में मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने X पर पोस्ट में बताया कि आज का दौर ‘इन्फॉर्मेशन वॉर’ का है, जिसमें झूठ और भ्रम फैलाना एक आम रणनीति बन चुका है. पेसा कानून को लेकर भी सोशल मीडिया और कुछ मंचों पर भ्रम फैलाया जा रहा है, खासकर ग्राम सभाओं और सदनों के अधिकारों को लेकर. कांग्रेस ने इस पर चिंता जताई और कहा कि इन मिथकों का जवाब तथ्यों और तर्कों के साथ देना समय की माँग है.

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स्थानीय परंपराओं और विविधताओं का ध्यान रखना जरूरी

झारखंड एक ऐसा राज्य है जहां हर प्रमंडल और जिले की अपनी सांस्कृतिक और पारंपरिक ग्राम व्यवस्था है. ऐसे में कानून को लागू करते समय एकरूपता के बजाय स्थानीय परंपराओं का सम्मान किया जाना चाहिए. कांग्रेस ने स्पष्ट किया कि पेसा कानून के क्रियान्वयन में यह एक केंद्रीय विचार होना चाहिए.

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आदिवासी परिवारों तक संविधानिक अधिकार पहुँचाना है मुख्य उद्देश्य

बैठक में कांग्रेस प्रतिनिधियों ने इस बात पर जोर दिया कि संविधान में जो अधिकार आदिवासी समाज को दिए गए हैं, उन्हें एक-एक परिवार तक पहुँचाना ही असली लक्ष्य है. पेसा कानून को महज़ दस्तावेज़ न बनाकर एक व्यवहारिक और प्रभावशाली औजार बनाना कांग्रेस की प्राथमिकता है.

निष्कर्ष:

कुल मिलाकर कांग्रेस यह स्पष्ट करना चाहती है कि पेसा The Provisions of the Panchayats (Extension to the Scheduled Areas) Act, 1996(PESA) कानून पर उसकी नीति केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि नीतिगत और जमीनी हकीकत पर आधारित है। स्थानीय परंपराओं, आदिवासी समाज की भागीदारी और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा – यही इस पहल की आधारशिला है।

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