नीतीश कुमार की नीतियों से बदल रहा आधी आबादी का भविष्य
तीसरा पक्ष ब्यूरो,पटना:बिहार में महिलाओं की सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक स्थिति को सशक्त बनाने की दिशा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा उठाए गए कदम अब रंग लाने लगे हैं.एक लंबे राजनीतिक अनुभव और सामाजिक सुधार की सोच के साथ, नीतीश कुमार ने यह साबित कर दिया है कि अगर राजनीतिक इच्छाशक्ति हो, तो सामाजिक बदलाव महज़ एक सपना नहीं, बल्कि ज़मीनी हकीकत बन सकता है.
महिला संवाद’—सीधा जुड़ाव, सटीक समाधान
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा शुरू किया गया ‘महिला संवाद’ अभियान राज्य की दो करोड़ से अधिक महिलाओं तक सीधे संवाद स्थापित करने की कोशिश है. यह पहल न केवल उनकी समस्याएं जानने और सुलझाने का माध्यम है, बल्कि 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले महिला मतदाताओं को जागरूक और एकजुट करने की रणनीति भी मानी जा रही है.राज्य के 70,000 से अधिक स्थानों पर हो रहे इस संवाद से स्पष्ट है कि सरकार अब नीतियों को महिलाओं की ज़मीनी ज़रूरतों के अनुरूप ढालने पर जोर दे रही है.
नौकरी और सुविधा: महिलाओं को मिल रही प्राथमिकता
हाल की एक कैबिनेट बैठक में नीतीश सरकार ने महिला कर्मचारियों के लिए कार्यस्थल के पास आवास उपलब्ध कराने की योजना को मंजूरी दी है. यह कदम महिलाओं को कार्य और पारिवारिक जीवन के बीच बेहतर संतुलन बनाने में मदद करेगा.
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साथ ही बिहार पुलिस में महिलाओं के लिए आरक्षण, परिवहन और बाजारों में विशेष सुविधा, तथा सरकारी सेवाओं में विशेष प्रावधान जैसे निर्णयों से महिलाओं को निर्णायक भूमिकाओं में लाने की कोशिश की जा रही है. और भी अन्य का कार्य किये है ,मुफ़्त साइकिल योजना (छात्राओं के लिए),शराबबंदी नीति, जिससे घरेलू हिंसा और सामाजिक अपराधों में कमी आई है ,महिला बस सेवा, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को सुरक्षित और सुलभ आवाजाही मिली
दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग की महिलाओं पर विशेष ध्यान
नीतीश सरकार की योजनाएं न केवल शहरी महिलाओं तक सीमित हैं, बल्कि दलित, अति पिछड़ा और अल्पसंख्यक समुदायों की महिलाओं को ध्यान में रखकर भी योजनाएं बनाई गई हैं. ‘भीम संवाद’ जैसे आयोजनों के ज़रिए समाज के वंचित तबकों को मुख्यधारा में लाने की कोशिशें जारी हैं.
2025 विधानसभा चुनाव: महिलाओं की निर्णायक भूमिका
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो राज्य की लगभग आधी आबादी महिलाएं हैं और नीतीश कुमार की महिला केंद्रित नीतियां उन्हें मतदान में अधिक सक्रिय बना सकती हैं. ऐसे में महिलाएं चुनाव परिणामों को प्रभावित करने वाली सबसे बड़ी शक्ति बनकर उभर सकती हैं.
निष्कर्ष:
नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार अब महिला सशक्तीकरण के क्षेत्र में एक मिसाल पेश कर रहा है. यह केवल नीतिगत बदलाव नहीं, बल्कि सामाजिक सोच में व्यापक परिवर्तन की शुरुआत है. यदि यही रफ्तार बनी रही, तो बिहार ‘आधी आबादी’ को उसका पूरा हक़ दिलाने वाला पहला राज्य बन सकता है.

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